पाठकों से निवेदन

इस ब्लोग पर तंत्र, मंत्र, ज्योतिष, वास्तु व अध्यातम के क्षेत्र की जानकारी निस्वार्थ भाव से मानव मात्र के कल्याण के उद्देश्य से दी जाती है तथा मैं कोई भी फीस या चन्दा स्वीकार नहीं करता हुं तथा न हीं दक्षिणा लेकर अनुष्ठान आदि करता हुं ब्लोग पर बताये सभी उपाय आप स्वंय करेगें तो ही लाभ होगा या आपका कोई निकट संबधी निस्वार्थ भाव से आपके लिये करे तो लाभ होगा।
साईं बाबा तथा रामकृष्ण परमहंस मेरे आदर्श है तथा ब्लोग लेखक सबका मालिक एक है के सिद्धान्त में दृढ़ विश्वास रखकर सभी धर्मों व सभी देवी देवताओं को मानता है।इसलिये इस ब्लोग पर सभी धर्मो में बताये गये उपाय दिये जाते हैं आप भी किसी भी देवी देवता को मानते हो उपाय जिस देवी देवता का बताया जावे उसको इसी भाव से करें कि जैसे पखां,बल्ब,फ्रिज अलग अलग कार्य करते हैं परन्तु सभी चलते बिजली की शक्ति से हैं इसी प्रकार इश्वर की शक्ति से संचालित किसी भी देवी देवता की भक्ति करना उसी शाश्वत निराकार उर्जा की भक्ति ही है।आपकी राय,सुझाव व प्रश्न सीधे mahesh2073@yahoo.comपर मेल कीये जा सकते है।

Saturday, March 27, 2010

क्या दही व लस्सी वास्तव में स्वास्थ्य वर्धक पेय है ?


आम तौर पर दही व लस्सी को शीतल प्रकृति का माना जाता है। परन्तु हकीकत कुछ और ही है यदि आप भी गर्मियों में अंधाधुध दही व लस्सी पी रहे हैं तो इस लेख को अवश्य पढ़िये।
आयुर्वेद के सबसे महान ग्रन्थ चरक सूत्र 27/225-226 में लिखा है कि दही भारी अभिष्यामंदी ( शरीर के स्त्रातों में रूकावट पैदा करने वाला) व गर्म प्रकृति का होता है। दही का पाचन होने पर लैक्टिक अम्ल बनता है जो आपकी एसिडीटी को बढ़ा देता है।
दही कब्ज करता है। यह बात आयुर्वेद के हर ग्रन्थ में लिखी है।
दही वायुकारक है व पितवर्धक है दही से बनी छाछ गले में कफ उत्पन्न करती है तथा दमा पीनस खांसी व गले के रोगों में अत्यंत हानिकारक होती है।
पंतजलि योगपीठ की वैध बालकृष्ण जी की पुस्तक आयुर्वेद्व सिद्वान्त रहस्य पेज 162 पर लिखा है कि दही ग्रीष्म बसन्त और शरद ऋतुओं में नहीं खाना चाहिये तो फिर कब खाना चाहिये? ये मैं बता देता हुं यदि जुकाम खांसी दमे से जल्दी उपर जाना हो तो वर्षा ऋतु में खाना चाहिये।
आपका प्यारा दही सूजन रक्त के रोग ज्वर रक्तपित व पीलीया रोग को उत्पन्न करता है ऐसा भी कुछ ग्रन्थों में लिखा है।
दही को रात्रि में खाना और भी ज्यादा खतरनाक व हानिकारक माना गया है।
अतः गर्मियों में आपको प्यास ज्यादा लगती है कब्ज रहती है जी भारी रहता है भुख कम लगती है व वायु के विकार रहते हैं पेट में जलन होती है तो केवल 3 दिन तक आपका दही व छाछ खाना बंद करके परिणाम देखिये व इस ब्लोग पर भी अपने कमेंटस से अवगत करवाईये कि दही छाछ ठंडे होते हैं या गर्म? इनको खाने से पेट ज्यादा ठीक रहता है या त्यागने पर ?

1 comment:

  1. मुझे तो ये लेख दही के ऊपर हास्य व्यंग लगा :)

    ReplyDelete

Please give your comments to improve our work and any query about this article we try to reply all comments by follow up comments.
आपके कमेंटस मेरे कार्य में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

Featured Post

भूत देखने के लिये प्रयोग

आप भूत प्रेत नहीं मानते हो तों एक सरल सा प्रयोग मैं आपको बता देता हूं ताकि आप भूत जी के दर्शनों का लाभ उठा सकें यह प्रयोग मुझे एक तांत्रिक न...